फिल्म निर्माण प्रक्रिया का बाय प्रोडक्ट था ‘तमस’

नाथूराम गोडसे पर बायोपिक के लिए निर्माता ने राजकुमार राव को गोडसे की भूमिका अभिनीत करने का प्रस्ताव दिया। मुंहमांगा मेहनताना देने की पेशकश भी की परंतु राजकुमार राव ने इंकार कर दिया। वे इस नकारात्मक भूमिका के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पा रहे थे। वैचारिक संकीर्णता के इस कालखंड में नाथूराम गोडसे को भी आभामंडित करने का प्रयास किया जा रहा है।


महात्मा गांधी और गोडसे पर पश्चिम के एक फिल्मकार ने ‘नाइन ऑवर्स टू रामा’ नामक हादसा रचा था। अनुपम खेर और उर्मिला मातोंडकर अभिनीत फिल्म का नाम था ‘मैंने महात्मा गांधी को नहीं मारा’। फिल्म में प्रस्तुत किया गया था कि अनुपम खेर डार्ट मारने का खेल बच्चों के साथ खेल रहे हैं।


उनका तीरनुमा डार्ट गांधी जी की तस्वीर पर लगता है और उसी समय गांधी जी की हत्या का समाचार आता है। अनुपम खेर केमिकल लोचा का शिकार हो जाते हैं और उन्हें भ्रम हो जाता है कि उनके डार्ट से गांधी जी मर गए। मानव दिमाग एक दुरुह और स्याह कंदरा की तरह है। 



उसमें विचार परछाइयां बनकर नृत्य करने लगते हैं। परछाइयां हकीकत में तब्दील होने लगती हैं। उर्मिला मातोंडकर अपने पिता अनुपम खेर की सेवा करती है। वह उन्हें केमिकल लोचे से बाहर लाने का प्रयास करती है। पिता की सेवा के लिए वह अपने प्रेमी से विवाह करने से भी इनकार कर देती है।



सर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ सर्वकालिक महान बायोपिक है। फिल्म के वितरक ने न्यूयॉर्क में मात्र चार सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन किया। लगातार शो हाउसफुल होते रहे और सिनेमाघरों की संख्या बढ़कर 50 कर दी गई। दुनिया भर में फिल्म ने सफलता के कीर्तिमान बनाए। सर रिचर्ड एटनबरो ने अपनी पटकथा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पढ़ने के लिए दी थी।


नेहरू ने उन्हें त्रुटियां दूर करने के लिए सुझाव भी दिए थे। इस घटना के कई वर्ष पश्चात सर रिचर्ड एटनबरो ने दोबारा लिखी पटकथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को दी। प्रधानमंत्री ने फिल्म निर्माण में सहयोग का आश्वासन दिया। चितरंजन रेलवे फैक्ट्री से पुराने जमाने की रेल उपलब्ध कराई गई, इसके साथ ही वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन को फिल्म निर्माण में अंशधारी भी बनाया गया।


सर रिचर्ड एटनबरो अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए एक फिल्म बना रहे थे। इसलिए उन्होंने बेन किंग्सले को चुना। ब्रिटिश रंगमंच पर बेन किंग्सले को सितारा हैसियत हासिल थी। बहरहाल बेन किंग्सले ने चरखा चलाना सीखा। गांधीजी की चाल और अंग संचालन की भाषा का गहन अध्ययन किया। 



सर रिचर्ड एटनबरो की गांधी की दूसरी यूनिट के कैमरामैन गोविंद निहलानी थे। उन्होंने छुट्टी के दिन होटल में स्थित किताबों की दुकान से भीष्म साहनी की किताब ‘तमस’ खरीदी। उन्होंने किताब पढ़कर ‘तमस’ पर फिल्म बनाने का विचार किया। इस तरह गांधी बायोपिक का बायप्रोडक्ट है ‘तमस’।  कालांतर में एक-एक घंटे के चार एपिसोड बनाए।


दूरदर्शन पर पहले दो एपिसोड के प्रदर्शन के बाद प्रदर्शन के खिलाफ एक याचिका दायर की गई। जज महोदय ने रविवार के दिन अदालत में चारों एपिसोड देखे और फैसला दिया कि इनका प्रदर्शन रोका नहीं जा सकता। भारतीय अदालतें तटस्थ होकर फैसले देती रही हैं। भारत में गणतंत्र की रक्षा अदालत करती रहेगी। जिस बांटने वाले कानून का विरोध छात्र कर रहे हैं। उस पर भी न्यायालय का फैसला आ सकता है। ‘वह सुबह कभी तो आएगी वह सुबह हमीं से आएगी।’


 

 

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